वक्त की क्या बात
अच्छों अच्छो की
दिखा देता औकात
पल भर में रजा रंक
फकीर वक्त की तस्वीर।।
वक्त किसी का गुलाम नही
वक्त संग या साथ नही
वक्त किसी का शत्रु मित्र नही
वक्त तो भाग्य भगवान् फकीर।।
वक्त दीखता नही दामन में
सिमटता नही आग में जलता नही
सागर की गहराई में डूबता नही वक्त कायनात का राहगीर।।
समय काल आवर दिवस माह
वर्ष युगों युगों से अपनी गति
चाल के संग भूत् वर्तमान अतीत।।
वक्त तारीख का पन्ना नही
वक्त तारीख का पन्ना सिर्फ
कायनात की यादों की जमीन।।
वक्त रुकता नही चलता जाता
लाख जतन कर ले कोई लौट
कर नही आता वक्त जज्बा जमीर।।
वक्त के अपने रंग रूप
कही दिखता है चमन बहार में
खुशियों की कायनात में प्रेम मुस्कान में वक्त ही करम करिश्मा तकदीर।।
वक्त आसुओं की धार विरह
वियोग संजोग मिलन जुदाई
वक्त रिश्तों की डोर का छोर
वक्त कब्रिस्तान श्मशान वफ़ा
बावफ़ा बेवफाई।।
वक्त किस्मत वक्त काबिलियत
वक्त सस्ता वक्त महंगा वक्त जख्म
वक्त मरहम वक्त मजबूर वक्त मशहूर वक्त खुदा खुदाई।।
वक्त जागीर नही वक्त जागीर का
जन्म दाता हद हैसियत बनाता मिटाता वक्त आग वक्त ओस
वक्त शोला आग रुसवाई।।
वक्त औकात वक्त ताकत
वक्त कमजोर की हिमाकत
वक्त अर्थ को अर्थहीन
बेमोल को बेशकीमती बानाता
वक्त से ही नाम बदनाम
वक्त ना दोस्त ना भाई ।।
वक्त नही बदलता बदलता
सिर्फ वक्त का मिज़ाज़ वक्त
मौसम चोली दामन का
साथ वक्त बेरबम हरज़ाई।।
वक्त मजलूम
वक्त ही दिखाता हर दर द्वार
वक्त को कोई पार न पाया
वक्त ना अपना पराया वक्त
शौर्य समशीर।।
वक्त वाकया वक्त फ़साना
अफ़साना वक्त कीमती
वक्त दुनियां की दौलत
वक्त गवाह वक्त गुनाह
वक्त मुज़रिम वक्त मजलिस
वक्त मुंसिफ मुसाफिर बाज़
दगाबाज़ मौका मतलब धोखा
सौदा सौदाई।।
Last Updated on March 18, 2021 by nandlalmanitripathi