8 मार्च 2021
महिला दिवस को आयोजित होने वाली काव्य प्रतियोगिता हेतु स्वरचित रचना।
“आज की नारी”
ना खेल हैं ना खिलौना हैं
ना तेरे बिस्तर का बिछौना हैं,
खुल के कहेंगें तुुुझसे लड़ेंगें
अब जो होना है सो होना है।।
मजबूर किया लाचार किया
एक बार नहीं कई बार किया,
शौक है तेरा नंगा बदन
अब तुझको नंगा होना है।।
लूटते रहे सब सहते रहे
ख़ुद से शर्मिंदा होते रहे,
अब बेशर्मी के आगे हमारी
तुझको शर्मिंदा होना है।।
कुछ भी खोने का ख़ौफ नहीं
हम किसी के रोके रुकें नहीं,
अब नींद उड़ाकर के तेरी
कुछ पल चैन से सोना है।।
करते हैं दुआ ये रब से ‘निशीथ’
सदा ही हो तुम सब की जीत,
अरे दुर्गा अवतारी हो तुम सब,
इन राक्षसों का अन्त तो होना है।।
– डॉ. निशीथ चन्द्र
मुम्बई, महाराष्ट्र
Last Updated on January 5, 2021 by drnc2108