अभिमान
जीवन में अभिमान तुम, कभी न करना भाय।
अभिमानी इस जगत में, चैन कभी ना पाय।
मानव का अभिमान ही, बहुत बड़ा है दोष।
अभिमानी मानव सदा, दे दूजे का दोष।
अहंकार अभिमान है, दोनों एक समान।
मानव जो इसको तजे, मिले उसी को मान।
अभिमानी जो होत है, करें बुरा ही काम।
करता अनहित देश का, सदा बिगाड़े काम।
अभिमान करें किस चीज का, तन है राख समान।
क्षण भर में उड़ जाएगा, सुगना हवा समान।
रचनाकार ✍️ – बुद्धि सागर गौतम।
( मौलिक व स्वरचित रचना )
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स्थायी पता – ग्राम इटहर, पोस्ट सोनखर,
जिला बस्ती, उत्तर प्रदेश, भारत – 272178.
वर्तमान पता – नौसढ़, जनपद – गोरखपुर,
उत्तर प्रदेश, भारत – 273016.
दूरभाष संख्या – 9412646123.
Last Updated on October 22, 2020 by adminsrijansansar