दोहा त्रयी :….आहट
हर आहट में आस है, हर आहट विश्वास।
हर आहट की ओट में, जीवित अतृप्त प्यास।।
आहट में है ज़िंदगी, आहट में अवसान।
आहट के परिधान में, जीवित है प्रतिधान ।।
आहट उलझन प्रीत की, आहट उसके प्राण ।
आहट की हर चाप में, गूँजे प्रीत पुराण।।
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Last Updated on February 25, 2021 by sarnasushil