शहीदों के खून की खुशबू मिटने नही देगे,
हम अपने परचम को कभी झुकने नही देगे |
हमे लुटने के दर्द का अहसास हो चुका है,
बमुश्किल सम्हले है आबरू लुटने नही देगे |
एक बार बहकावे में हमने घर बाँट दिया,
अब आँगने में कोई दीवार बनने नहीं देगे |
दुनियाँ में आजादी से बड़ी कोई नेमत नहीं है,
ये शहीदों की अमानत है बिखरने नही देगे |
बापू के चमन में अमन के पंकज खिलेगे,
हम किसी सैय्याद को बसेरा करने नहीं देगे |
आजाद फिजाओ में लहरायेगा तिरंगा ,
हम अपने परचम की साँस घुटने नही देगे |
पंकज कुमार श्रीवास्तव
स्वरचित मौलिक रचना
Last Updated on January 10, 2021 by pankaj15feb