तन वतन के लिये
मन वतन के लिए
भाव भावनाए वतन का प्रवाह
वतन ही जिंदगी वतन ही पहचान ।।
वतन पर जीना मरना ही
ख्वाब हकीकत अरमान
वतन सलामत रहे
वतन से ही रिश्ता खास अभिमान ।।
वतन की संस्कृति संस्कार तिरंगा
शान स्वभिमान तिरंगा
वंदे मातरम माँ भारती के
आराधन का मूल मंत्र सम्मान तिरंगा।।
सीने में वतन की जज्बे की ज्वाला।
सांसो धड़कन की गर्मी
वतन की अस्मत प्राण।।
चाहे जितने भी आये माँ
भारती को बनाने गुलाम
त्याग बलिदानी धरती के माँ
भारती के बीर सपूतों ने माँ भारती की आजादी की रक्षा में दे दी जान।।
वतन की राह चाह में हो
गए कुर्बान ना कोई अफसोस
ना कोई ग्लानि हँसते हँसते
लड़ते तिरंगे को दिया ऊंचाई
आसमान।।
दुश्मन जो आंख दिखाए
उसका कर दे वो हाल
जल बिन जैसे मछली तड़पे
पानी बिन तरसे जीवन को
मौत की मांगें भीख मर्दन कर दे
कर दे मान।।
वतन धर्म ,वतन कर्म दायित्व
सपनो में भी वतन भौतिकता
नैतिकता में वतन की गरिमा
गौरव का पल पल मर्यादा की
गौरव गाथा गान का भान।।
आजादी के दीवानों परवानों के
बलिदानों के उद्देश्य पथ का पथिक
स्वतंत्रता गणतंत्र के मौलिक
मूल्यों का अवनि आकाश आन
वान का जीवन जान।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर
Last Updated on January 12, 2021 by nandlalmanitripathi