“देशभक्ति काव्य प्रतियोगिता” हेतु
देश का बेटा
गैरों ने तो लूटा था, अपनों ने भी लूटा।
मॉं से बिछड़े थे जो बच्चे, उन्होंने ही लूटा।
ऐसे भी बच्चे थे मॉं के, अपने ही घर को लूटा।
आया जब एक बेटा मॉं का, सब को उसने संभाला।
खिल उठा वो खुद ‘कमल’ सा,
मॉं की गोद को बाग सा बनाया।
अब ना आएगी कभी पतझड़,
बहार उसने जो खिलाई।
हरी-भरी कर दी धरती को,
मॉं का भी आंचल लहराया।
बेटा मॉं का लाडला वो ‘मोदी’ कहलाया।
रचनाकार का नाम: रंजना सोलंकी भगत’रोशनी’
पदनाम: लेखक
पता :सी.503/राधे किशन रेसिडेंसी,कर्नावती मोल,वस्त्राल, ओढव, अमदावाद ३८२४३०.
गुजरात, भारत।
Mo.9727335811
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Last Updated on January 8, 2021 by ranjanabhagat70
1 thought on ““देशभक्ति काव्य प्रतियोगिता” हेतु”
Awesome poetry