आओ मेघा
डॉ. पोपट भावराव बिरारी
(सहायक प्राध्यापक)
कर्मवीर शांतारामबापू कोंडाजी वावरे कला,
विज्ञान व वाणिज्य महाविद्यालय सिडको, नासिक
मो. नं. – 9850391121
ईमेल – popatbirari@gmail.com
आओ मेघा
आओ मेघा, आओ मेघा
आ बरसो इस धरा पर
पेड़-पौधे, पंछी, प्राणी
ढूँढ रहे हैं राह पर ||
कर दो मेघा यहाँ हरियाली
बिछा दो गंध महकानेवाली
खिला दो पेड़-पौधों को तुम
दे दो उन्हें नई जिंदगानी ||
बहा दो अपनी स्वर्ण जलधारा
सजा दो इस संसार को
कोयल की कुक, मेढ़क की टर-टर
सुनने आओ इस धरा पर ||
जल रही धरा विरहाग्नि में
शांत करों तपन मिलन कृपा से
जीवों के दाता, धरा के प्रियतम
भक्षक न तुम रक्षक बन जाओ ||
नाँचती बिजलियों की वह कड़कड़ाहट
गरजते बादलों की वह गड़गड़ाहट
अपूर्व तेरी लीला देखने
विकल यह जीर्ण कलेवर ||
याचक हम पतित हैं भारी
दाता हो आप अनमोल श्रेष्ठ अवतारी
कृपा तुमरी हम पर करदो, यहु तन हमरा
अनमोल पावन जल-बूँदों धुलवादो ||
बन जाओ नदी-नालों की प्यासा
हरलो अकाल की तुम भाषा
महका दो तुम उन पुष्पों को
जो हैं सदा तुम पर न्योछावर ||
खेत बोए बीजों को लहरादो
अनाज राशी खलिहानों सजवादो
भूलेंगे न उपकार तुमरा यह
बस बन जाओ वरदानी वह ||
Last Updated on August 18, 2022 by popatbirari