प्रीत की रीत कहूं तुमसे,
दिल उनसे आज ये जुड़ बैठा,
प्रीत की परछाई लेकर,
मन उनको आज ले उड़ बैठा।
फिर साथ मिला तेरा मुझको,
जीवन में तुम मेरे आए,
फेरों से वचन पिरोया यूं,
सांसों की माला बन जाए।
डगमग डगमग जब नाव चली,
पतवार लिया हांथो में तब,
जब धाराएं विपरीत हुई,
विश्वास भरा सांसों में तब।
एहसान है ये तेरा मुझपर,
संगिनी बन तुमने साथ दिया,
खुद के अरमानों का गला घोंट,
परहित में अपना हांथ दिया।
महसूस नहीं कर सकते हम,
तेरे मन जो भी द्वंद चले,
जग के कर्कश कुछ तानों पर भी,
मन तेरे प्रीत के छंद चले।
अब मुक्त नहीं हो सकते हम,
एहसान जो तुमने दान दिए,
सह बोझ निरंतर हम सब का,
कर्तव्य इसे तुम नाम दिए।
प्रेम भरी परिपाटी पढ़,
कृत कृत्य किया तुमने हमको,
हर जन्म तुम्हारा प्रेम मिले,
प्रभु से वरदान मिले हमको।
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Last Updated on January 22, 2021 by rtiwari02