चलो कहीं मिलते हैं,
पल दो पल की ज़िन्दगी जीते हैं ।
कुछ तुम कहो , कुछ हम कहें ,
ज़माने की अनसुनी करते हैं ।
हाथों में हाथ लिए बैठते हैं,
ना कस्मे ना वादे ,
रस्मो- रिवाज़ो को तोड़ते हैं ।
चल ना यार ,
कहीं दू….. र ..चले जाते हैं
– रोशनी
Last Updated on January 18, 2021 by ranjanabhagat70