आजकल शहरों में लोग
नंगे पाँव नहीं चलते
कुछ तो घर में भी
नंगे पाँव नहीं रहते
बिस्तर से उठने से लेकर
खाने की टेबल तक
पाँव ज़मीन को नहीं छूते
फ़र्श पर कालीन बिछा होता है तब भी
पाँव के तले चप्पल ही होती है
पता नहीं क्या हो गया है कि
नंगे पाँव चलने वाला असभ्य समझा जाने लगा है
बड़ा अजीब लगता है
शरीर की नग्नता से प्रसिद्धि मिलने लगी है
वैचारिक नग्नता बुद्धिमत्ता बन गई है
व्यवहारिक नग्नता को कुछ लोग ऐटीट्यूड बताते हैं
लेकिन नंगे पाँव रहनेवाला आदमी
छोटा बन जाता है …
गीता टंडन
Last Updated on January 30, 2021 by geetatandon1