ब्रह्म मुहूर्त की बेला में
मंदिर में घन्टे घड़ियाले
बजते गुरु बानी सबद
कीर्तन गुरुद्वारों में
मस्जिदों में आजाने होती।।
सबकी उम्मीदे चाहत
नई सुबह के आने वाले
सूरज से होती।।
आएगा अपनी किरणों
संग सृष्टि की दृष्टी युग
चेतना नई कर्म क्रांति की
ऊर्जा का वर्तमान भविष्य
लाएगा।।
मर्यादाओं की किलकारी
भावो में कृष्ण कर्म योग
ज्ञान योग जीवन के कुरुक्षेत्र
में प्रभा प्रभाकर लाएगा।।
अहिंशा परमो धर्मह के बुद्ध
महाबीर प्रेम दया क्षमा करूणा
संदेश जीजस का दिवाकर लाएगा।।
लूथर नेल्सन नेता महात्मा
रूपो में चैतन्य चेतना के
परिवर्तन का पाञ्चजन्य
बजाता भुवन भाष्कर
कहलाता।।
किरणों का आदि मध्य अंत
दिवस कहलाता युग सृष्टि
का प्राणी नव चेतन की उर्जा
उत्साह से संचारित हो जाता।।
Last Updated on February 1, 2021 by nandlalmanitripathi