राम
स्वयं को भक्त राम का
कहते बड़ा मुश्किल है
भक्त राम का बन पाना।।
राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम
कठिन है जिंदगी में मर्यादा
निभा पाना।।
पिता की आज्ञा से स्वीकारा
राम ने वन में जाना
त्यागा राज पाठ मद लोभ
तापसी जीवन भी मर्यादा का
नजराना।।
पिता आज कुछ भी कहता
बेटे को फर्क नहीं पड़ता
आज बेटा राजा है पिता को
पड़ता है वन जाना।।
बहुत दुस्कर है भाई लखन भरत
जैसा बन पाना।
लखन भाई राम की खातिर
जीवन का शुख भोग त्यागा
बना राम की परछाई बनकर
संग वन भटका ना सोया
चौदह वर्ष जागा।।
भारत भाई आज्ञा पालक
चरण पादुका के शरण
वनवासी नंदी ग्राम के
कण कण में राम बसा डाला।।
केवट जैसा सखा राम का
सबरी के झूठे बेर भी राम
अमृत जैसा।।
उंच नीच का
भेद राम ने मिटा डाला जग में
राम ने भगवान् भाव बता
डाला।।
मित्र धर्म मिशाल सुग्रीव मिशाल
अधम शारीर के भालू बानर की
भक्ति सेवा के कायल राम।
महाबीर हनुमान
राम नाम की भक्ति की शक्ति जग का खेवनहार बना डाला।।
नाम राम का लेकर
भाई का दुश्मन भाई
मित्र धर्म का मतलब ही
दुनिया ने बदल डाला।।
भक्त राम का द्वेष रहित निष्पाप
अन्याय अत्य चार का प्रतिकार
राम भक्ति है आत्म बोध का
उजियार ।।
मन में राम नाम मर्म का
दिया एक जला डालो
रामभक्ति का युग में अलख
जगा डालो।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर उत्तर प्रदेश
Last Updated on April 4, 2022 by nandlalmanitripathi