1

काव्य धारा -13

जै जै जै अम्बे मातु भवानी माँ दुर्गा जग कल्याणी!!
जै जै जै अम्बे मातु भवानी माँ दुर्गा जग कल्याणी!!

मनोकामना कि तू माता, ममता का आँचल वात्सल्य कि मुरत सूरत महिमा कि माता रानी!!

जै जै जै अम्बे मातु भवानी माँ दुर्गा जग कल्याणी!!

दुष्ट विनाशक भय भंजक माँ शेरों वाली!!

जै जै जै अम्बे मातु भवानी माँ दुर्गा जग कल्याणी!!

सूर्योदय संध्या तक तेरी सेवा भक्ति रात्रि जागरण कि आराधना तूं देवी देवों कि शक्ति जै जै माँ जोता वाली!!
जै जै जै अम्बे मातु भवानी माँ दुर्गा जग कल्याणी!!

संतानों कि रक्षक, सकल मनोरथ पूरन करती, सुख शांति सम्मान कि लक्ष्मी!!

जै जै जै अम्बे मातु भवानी माँ दुर्गा जग कल्याणी!!

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर उत्तर प्रदेश