कहो तुम कौन हो
प्रकृति ही मेरी संगिनी है, मेरे अह्सास है, मेरी कलम के शब्द हैैं अतः उसी प्रकृति के आँचल में मेरी काव्य धारा प्रवाहित होती है। प्रकृति के अन्यतम नैसर्गिक प्रेम को संबोधित करते हुए ”कहो, तुम कौन हो” कविता प्रस्तुत है –
हृदय मंदिर में बसने वाले
नित क्षण मुझको रचने वाले
कहो, कौन हो तुम?
दीपक जैसे जलने वाले
बन बाती साथ निभाने वाले
कहो,कौन हो तुम।
बादल रूप धर गरजने वाले
बन बरखा मुझे भिगोने वाले
कहो,कौन हो तुम?
बन रजनी जग में सोने वाले
दिवस हुए कर्म करने वाले
कहो,कौन हो तुम?
पुष्प गुच्छ में रहने वाले
सुगंध रूप मन हरने वाले
कहो,कौन हो तुम?
तारागण से जगने वाले
चंद्र बन नित घटने वाले
कहो,कौन हो तुम?
नदी रूप में बहने वाले
जग की प्यास बुझाने वाले
कहो,कौन हो तुम?
शिशु उमंग भर देने वाले
स्पर्श मधु से उड़ने वाले
कहो,कौन हो तुम?
पक्षीगण से कलरव करते
पंख पसार नभ छूने वाले
कहो,कौन हो तुम?
बन हवा बसंती नृत्य करने वाले
कण कण में बसने वाले
कहो,कौन हो तुम?
फसलों संग लहराने वाले
मिट्टी से प्राण जुड़ाने वाले
कहो,कौन हो तुम?
हृदय मंदिर में बसने वाले
नित क्षण मुझको रचने वाले
कहो, कौन हो तुम……
कवयित्री परिचय –
मीनाक्षी डबास “मन”
प्रवक्ता (हिन्दी)
राजकीय सह शिक्षा विद्यालय पश्चिम विहार शिक्षा निदेशालय दिल्ली भारत
माता -पिता – श्रीमती राजबाला श्री कृष्ण कुमार
प्रकाशित रचनाएं – घना कोहरा,बादल, बारिश की बूंदे, मेरी सहेलियां, मन का दरिया, खो रही पगडण्डियाँ l
उद्देश्य – हिन्दी भाषा का प्रशासनिक कार्यालयों की प्राथमिक कार्यकारी भाषा बनाने हेतु प्रचार – प्रसार
Last Updated on January 29, 2021 by mds.jmd