ईश्वरः एक रूप अनेक …
(अध्यात्म में ईश्वर के अनेक स्वरूप है और उन्हीं में ईश्वर का एक रूप कृष्ण के रूप में चर अचर जीव जंतु जड़ चेतन सभी में ईश्वर के रूप विद्यमान हैं)
कृष्ण ही कृष्ण उठत कृष्ण चलत कृष्ण श्यामभोर है ।
कृष्ण बुद्धि कृष्ण चित्त कृष्ण मन विभोर है ।।
कृष्ण रात्रि कृष्ण दिवस कृष्ण स्वपन ध्यान है ।
कृष्ण काल कृष्ण कला कृष्ण मन अयन है ।।
कृष्ण शब्द कृष्ण अर्थ कृष्ण ही परमार्थ है ।
कृष्ण कर्म कृष्ण भाग्य कृष्ण ही पुरुषार्थ है ।।
कृष्ण स्नेह कृष्ण राग कृष्ण ही अनुराग है ।
कृष्ण कली कृष्ण कुसुम कृष्ण ही पराग है ।।
कृष्ण भोग कृष्ण त्याग कृष्ण तत्व ज्ञान है ।
कृष्ण भक्ति कृष्ण प्रेम कृष्ण ही विज्ञान है ।।
कृष्ण स्वर्ग कृष्ण मोक्ष कृष्ण परम साध्य है ।
कृष्ण जीव कृष्ण ब्रह्म कृष्ण ही आराध्य है ।।
कृष्ण नाम कृष्ण काम कृष्ण ही पहचान है ।।
कवयित्री परिचय –
मीनाक्षी डबास “मन”
प्रवक्ता (हिन्दी)
राजकीय सह शिक्षा विद्यालय पश्चिम विहार शिक्षा निदेशालय दिल्ली भारत
Mail Id
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माता -पिता – श्रीमती राजबाला श्री कृष्ण कुमार
प्रकाशित रचनाएं – घना कोहरा, रिमझिम मोबाइल देवता,4 नया सवेरा (हाईकू), 5 बादल, 6 मेरी सहेलियां भाग -1, 7 शब्द संसार, 8 मेरी सहेलियां भाग- 2, 9 पगडंडियां, 10 मजदूरों की मजदूरी, 11 सीढ़ी, 12 धागा, 13 स्त्रियों के बाल, 14 रेखाओं में मजदूर, 15 वीर राणा प्रताप, 16 भारत के पूत, 17 नवजीवन वरदान, 18 कोरोना काल, 19 गढ़वाल राइफल का वीर 20 मृग तृष्णा,21 बन शक्ति,22 शाख से छूटा पत्ता,23 लो थाम प्रिय, 24 बेटी, 25 मुझे उस ओर जाना है, 26 कौन हो तुम, 27 प्रिय छवि, 28 कुछ कोलाब, 29 मेरे राम
उद्देश्य – प्राथमिक कार्यकारी भाषा बनाने हेतु हिंदी का प्रचार – प्रसार l
Last Updated on May 16, 2021 by mds.jmd