अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता
कविता-बेटियां कभी नहीं होती पराया धन
बेटियां कभी नहीं होती पराया धन
ये सोचकर न कर दो कोख से ही अंत,
बेटी बनकर लक्ष्मी आई
कर दिया उसने अंग्रेजों का संहार,
नेहरू बेटी इंदिरा आई
देश में गरीबी हटाओ का नारा लाई,
सुषमा बेटी विदेश गई
भारतीय सभ्यता संस्कृति का सुंदर पाठ पढ़ाई,
कल्पना बेटी अंतरिक्ष गई
नये शोध का रास्ता लाई,
सुष्मिता बेटी मिस यूनिवर्स का ताज पहनकर
भारतीय नारी की सुंदरता का
सारी दुनिया में परचम फहराई,
प्रतिभा बेटी राष्ट्रपति बन
सारे देश में ममता का माहौल बनाई,
बेटियां कभी नहीं होती पराया धन
ये सोचकर न कर दो कोख से ही अंत।
स्वरचित मौलिक रचना
श्रीमती मार्गरेट कुजूर
सीएमपीडीआई कॉलोनी धर्मजयगढ़ जिला- रायगढ़ छत्तीसगढ़
Last Updated on January 20, 2021 by margreatkujur