सबसे सुन्दर सर्वोपरि हो,सकल गुणों की खान हो।
सबसे ऊंचा कद तुम्हारा,तीन लोक में महान हो।।
धैर्य तो है धरती के जैसा, क्षमाशील हो नामी।
सर्व गुण सम्पन्न हो नारी, कछु नहीं है खामी ।।
दादी माता बुआ बहिन हो,पुत्री प्यारी-प्यारी ।
पत्नी बन परिवार बढाती,धन्य हो तुम नारी।।
सुख-दुःख सारे सह कर भी,विचलित नही होती।
ध्यान सभी का रखती पूरा,सुला के सबको सोती।।
दादी लडती कभी अकडती,तुम कैसे सह लेती हो।
बडी ही सहनशील हो माता, धैर्य न डिगने देती हो।।
बहिन ऐसी भाई-बहिन हित,जान छिडकती रहती हो।
सदा भला सभी का चाहती,निर्मल जल-सी बहती हो।।
पुत्री बन कर मां-बाप को,इतना खुश कर लेती हो।
दुखः सह कर भी मायकै पै,आंच न आने देती हो।।
सुख-दुख की सहभागी बन,जीवन बाग खिलाती हो।
खुशियों को संभव कर देती, प्यार का रस पिलाती हो।।
गुरू बन कर निज बच्चो में,भर देती संस्कार सभी।
जब तक वो सफल न होते,जरा न पाती चैन कभी।।
नारी बहुत बढ़ गई आगे,बदल गयी सब झाकी है।
हर क्षैत्र में पदासीन हुई ,बचा नहीं कोई बाकी है।।
लक्ष्मी रूपा गौरी रूपा , और शारदा की छवि हो।
लेखक साहित्यकार निराली,वाक्ई सक्षम कवि हो।।
नेता-अभिनेता भी तुम हो,विश्व पटल पर छा गयी हो।
बन वैज्ञानिक चंद्र लोक पर,घुम-घुमा कर आ गयी हो।।
नारी तुम देवी रूपा हो, आन-बान और शान हो।
तुम दर्शनीय तुम वंदनीय,तुम प्रशंशनीय महान हो।।
तुम सम्मानित हम सम्मानित,ऐसै ही मन भाव संवारै।
नारी का अपमान नहीं हो, ऐसा ही सब सोच -विचारै।।
आदर और सम्मान योग्य ये,हम युग-युग आभारी है।
कोटि-कोटि वंदन है तुमको,तुम जग की महतारी है।।
महिला का सम्मान करै सब यही, हमारा कहना है।
सारे जग की शोभा नारी ,नर का अनुपम गहना है।।
महिला दिवस की तरह सदा,महिला का हो सम्मान ।
संस्कारों की दाता सक्षम, है ये तो दो घरों की शान।।
नर बडा तबही बनता है, जब महिला आगे आती है।
नारी के बिन सब जग सूना ,सृष्टि नहीं चल पाती है।।
महिलाओ का सच्चे दिल से, करै सब मान-सम्मान।
हर क्षेत्र में आगे होगी,सच में होगा ये भारत महान।।
*** जबरा राम कण्डारा ***
Last Updated on January 17, 2021 by jabraramkandarasaheb