*हिमालयन अपडेट कानपुर-काव्य समीक्षा*
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समीक्षक :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
कलमकार कोई भी हो वह तो अपनी लेखनी का सदैव ही धनी होता है। कवि कवियित्रियाँ और साहित्यकार अपने नित सुन्दर साहित्य सृजन से समाज को प्राचीनकाल से ही दर्पण दिखाने का काम करते चले आरहे हैं। साहित्य का समाज के विकास में बहुत बड़ा योगदान माना जाता रहा है।
हिन्दी साहित्य के योगदान की तो बात ही निराली रही है। हिन्दी साहित्य का भारतीय समाज में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। आज विदेशों में भी हिन्दी साहित्य संवृद्धि और विकास के लिए अनेकों संस्थायें कार्यरत हैं।
हमारे सम्मानित साहित्य मनीषियों ने अपने अपने उत्कृष्ट कविताओं और लेखों के सबल माध्यम से समय समय पर विभिन्न महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, प्रान्तीय,स्थानीय विषयों के साथ ही साथ हमेशा महापुरुरुषों,त्योहारों,पर्वो,सामाजिक,सांस्कृतिक,और समसामयिक विषयों पर भी अपनी सशक्त कलम से अपने मनोभावों के शब्दों से पिरोते हुए
न सिर्फ समाज को एक आईना दिखाया है बल्कि
बहुत से लेख और कविताओं को इतिहास के पन्नों
में स्वर्णाक्षरों में अंकित कराते हुए उन्हें कालजयी भी बनाया है।
आज मेरे मन में विचार आया कि क्यों अपने इस काव्य ग्रुप *हिमालयन अपडेट-कानपुर* में प्रेषित विभिन्न सुधी,गुणी एवं निरंतर साहित्य सेवा में लगे हुए कवि/कवियित्रियों की प्रस्तुत रचनाओं की *समीक्षा* की जाये।
उसी क्रम में 24 जून 2021 को प्रेषित रचनाओं में जहाँ आदरणीय श्री सुधीर कुमार श्रीवास्तव-गोण्डा,उ.प्र. जी द्वारा प्रेषित ‘कसम’ शीर्षक से उनकी रचना में आज की वर्तमान कसम की स्थितियों का,जिसमे लोग कसम तो एक नहीं सौ सौ खाते रहते हैं किन्तु उसका मान नहीं रखते हैं। उसे तोड़ने पर ही आमादा रहते हैं,गिरगिट की तरह रंग बदलते रहते हैं। बहुत सुन्दर और कटु भावार्थ के साथ रचना को पंक्तिवद्ध किया गया है,वहीं आदरणीय श्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव ‘ओम’ जी द्वारा माँ शारदा को ‘नमन’ करते हुए उनकी ही कृपा से साहित्य सृजन की बात अपनी सूक्ष्म रचना में बताते हुए अपनी किसी भी भूल के लिये सरस्वती माता से क्षमा की प्रार्थना का भाव प्रस्तुत किया है। यह पूर्णतः सच है कि हममें से कोई भी बिना विद्या वर दायिनी माँ की कृपा के कुछ भी करने-लिखने में समर्थ नहीं हो सकता है। माँ वीणा धरणी सरस्वती शारदा को शत शत नमन।
आदरणीया सुनीता मुखर्जी,गाजियाबाद-उ.प्र जी द्वारा प्रेषित रचना ‘आस्था’ के माध्यम से जीवन में सिर्फ अच्छे कर्म,दुर्गुणों से बचने,पर सेवा का भाव,
असहायों पर प्रभु कृपा,जीवन पथ से भटकने पर राह दिखाने की कामना के साथ स्वजनों की भ्रम की दीवार गिरा कर चारो ओर ख़ुशियाँ बिखेरने की प्रभु से ज्ञान और वरदान प्राप्त करने की प्रबल इच्छा का समावेश किया गया है,वहीं ‘ढलती शाम’
शीर्षक से लिखी कविता के माध्यम से जीवन की एक और शाम ढल जाने,चाहते हुए भी रवि के तेज में सुकून से और अधिक न रह पाने और रात के आगोश में जाने,कुछ पल का विश्राम पाने,नींद के साथ चाँद तारों में खो जाने एवं अपनी मंजिल पर पहुँच जाने की तृप्ति के साथ आदरणीया नंदिनी लहेजा,रायपुर(छत्तीसगढ़) ने अपना काव्य भाव प्रस्तुत किया है।
आदरणीय कवि विवेक अज्ञानी,गोण्डा,उ.प्र.ने भी
जहाँ अपनी रचना ‘कंप्यूटर के ज़माने’ में कोई किसी का न रहा का भाव प्रदर्शित किया है। सभी इस चमत्कारी मशीन में लोग इतना ज्यादा व्यस्त हो गए हैं कि किसी रिश्ते की कोई फ़िक्र ही नहीं रह गई है। माँ हो या बेटा या बेटे की भूख,माँ का ध्यान केवल कंप्यूटर पर है।बच्चा भी बड़ा होने पर माँ पर ध्यान नहीं देता। श्री कृष्ण और माँ यशोदा के प्यार जैसा क्यों समय नहीं आता। आज इस मोबाइल और कंप्यूटर ने प्रेम के सभी रिश्तों को अकेला कर दिया है,वहीं कविवर ओम प्रकाश द्वारा पुनः प्रेषित ‘एक मुक्तक’ के माध्यम से माया और काया के चक्कर तथा सांसारिक
चकाचौंध में दुनिया से संस्कार एवं आचरण का ह्रास हो रहा है,वह धूल खा रहा है मैं तो कहूँगा कि उसका नाश हो रहा है का बड़ा सुन्दर भाव प्रस्तुत किया है।
वरिष्ठ कवि एवं लेखक डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव,पी बी कालेज,प्रतापगढ़,उ.प्र. द्वारा प्रस्तुत रचना शीर्षक “निर्गुण ब्रह्म उपासक संत कबीर दास” के माध्यम से कबीर दास जी के जन्म,कर्म,सोच,अनपढ़ होते हुए भी दोहों के गा कर समाज की कड़ुई सच्चाई,रूढ़िवादी विचार धारा,जात-पांत,ऊँच-नीच और मुल्ला-पंडित के विचारों को उनके दोहों के अर्थ को काव्य रूप में पिरोते हुए कबीर के संयम,धर्म,साहस,संतोष धन पर अपनी रचना में भावों को बखूबी समावेशित किया है,वहीं आदरणीय कविवर अभिषेक मिश्रा, बहराइच,उ.प्र.द्वारा प्रेषित एक ग़ज़ल शीर्षक ‘एक प्रयास’ के माध्यम से फ़ना हो गए होते,इश्क में समझौता मगर नहीं आता,बिछड़ जाते कारवां से अच्छा है रास्ते में तेरा शहर नहीं आता। आज दो भाइयों के बीच की दरारें ऐसी गहरी हो गई हैं कि कोई एक दूसरे को देखना पसंद नहीं करता।
जिसके वादों पे एतबार किया बीमार का हाल भी पूछने नहीं आता,बरगदों के पेड़ क्या कटे अब तो दोपहर भी गांव में नहीं आता जैसे सुन्दर मनोभाव अपनी ग़ज़ल में पिरो कर प्रस्तुत किया है।
आदरणीया कवियित्री डॉ.निधि मिश्रा जी ने अपने कविता शीर्षक ‘घड़ी विपति की है घहराई’ के द्वारा जहाँ महामारी कोरोना के कारण उपजी विभिन्न समस्याओं,काम काज की बंदी,बेकारी, बेरोजगारी,रोग प्रसार और बच्चे,जवान तथा बूढों की जान पर बन आई आफत से दुःख में डूबे हुए सभी प्राणियों की रक्षा करने की दीननबंधु कृपानिधान से गुहार लगाते हुए उनके जीवन को बचाने का सुन्दर भाव प्रस्तुत किया गया है, वहीं
आदरणीय कविवर श्री सुधीर श्रीवास्तव द्वारा पुनः प्रेषित रचना शीर्षक ‘संत कबीर’ के माध्यम से कबीर को एक विचार धारा के रूप में बताया गया है। अन्धविश्वास,भेदभाव,छुआछूत के विरोधी, उनकी मनोभावना में निश्छलता,हिन्दू मुसलमान सब का उनके निशाने पर रहना,हर किसी को केवल ईश्वर की संतान मानना और अपने धुन का पक्का होना बताया है। कबीर को हिन्दू मुस्लिम सभी धर्मों के लोग उतना ही सम्मान देते हैं। आज वास्तव में कबीर अब कबीर नहीं बल्कि एक विचार धारा के रूप में स्थापित हो चुके हैं,आज उसी विचार धारा को जीवन में सभी को अपनाने की आवश्यकता है।
प्रस्तुत समीक्षा के लिए मैं आदरणीया प्रिय अर्चना शर्मा जी का हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ एवं अपना आभार भी व्यक्त करता हूँ,जिन्होंने मुझे इस योग्य समझते हुए मुझसे अपना निवेदन करते हुए मुझे हिमालयन अपडेट कानपुर ग्रुप में प्रेषित दैनिक रचनाओं की समीक्षा करने का एक सुअवसर प्रदान किया।
इस प्रकार आज के कवियों,रचनाकारों एवं सभी साहित्यकारों की प्रस्तुत रचनाओं से हमें बहुत कुछ सदैव की भांति ही सीखने और समझने को मिला। सभी नवोदित रचनाकारों/सुधी मनीषियों को उनकी उत्कृष्ट रचनाओं और सुन्दर सृजन के लिए मेरी बहुत बहुत हार्दिक बधाई एवं मंगल शुभकामनाएं।
समीक्षक :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596
Last Updated on June 26, 2021 by dr.vinaysrivastava
- डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
- वरिष्ठ प्रवक्ता
- पी बी कालेज
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- 156 - अभय नगर, प्रतापगढ़ सिटी, उ.प्र., भारत- 230002