*बढ़ती उम्र के साथ सुखी रहने को आदतों में बदलाव जरुरी*
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आलेख :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
प्रकृति का यह शाश्वत सत्य नियम है यदि ईश्वर कृपा बनी रहती है तो जो जन्म लिया है,वह वृद्धि करेगा,बढेगा,जवान होगा,अधेड़ होगा और अंत में एक दिन बूढा भी होगा। अपने को बढ़ती उम्र के साथ स्वीकारने और अपनी युवा उम्र की आदतों में आशातीत बदलाव लाने से यह हमें तनावमुक्त जीवन और ख़ुशियाँ प्रदान कर सकता है।
जीवन में हर उम्र एक अलग तरह की खूबसूरती और अपार ऊर्जा भरी उमंग लेकर आती है। आप भी उसका आनंद लीजिये। आप को बाल रंगने हैं तो रंगिये, वज़न कम करना है तो अवश्य करिये। मनचाहे कपड़े पहनने हैं तो वह भी आप पहनिये। संतुलित और सात्विक भोजन कीजिये किन्तु ये भी जरुरी है अब बच्चों की तरह खिलखिलाइये,
अच्छा सोचिये,अच्छा माहौल रखिये। प्रतिदिन
शीशे में दिखते हुए अपने वर्तमान अस्तित्व को भी जरूर स्वीकारिये।
संसार की कोई भी क्रीम आपको कभी गोरा नही बना सकती। कोई भी शैम्पू कभी बाल झड़ने से पूरी तरह नहीं रोक सकता, कोई भी तेल कभी पूरी तरह से प्राकृतिक बाल नहीं उगा सकता है।
कोई साबुन भी आपको बढ़ती उम्र में बच्चों जैसी स्किन कभी नही दे सकता है। चाहे वो लाइफ बॉय,पियर्स,डोव, या प्रॉक्टर गैम्बल ही क्यों न हो या फिर पतंजलि प्रॉडक्ट का हो सब अपने अपने सामान बेचने के लिए केवल आकर्षक विज्ञापन देते हैं और पब्लिक को कैसे भ्रमित कर अपना व्यवसाय बढ़ा सकते हैं,इस लिए ऐसा कुछ बड़े बड़े विज्ञापनों और प्रचार में बोलते हैं।
सौंदर्य तो एक प्रकृति प्रदत्त ईश्वर का दिया हुआ अनुपम उपहार है। ये सब कुदरती होता है। हमारी
उम्र बढ़ने पर त्वचा से लेकर बॉलों तक,आँखों से लेकर दाँतों तक मे बहुत बड़ा बदलाव आता है।
हम पुरानी मशीन को चुस्त दुरुस्त रख करके उसे बढ़िया चलाते तो रह सकते हैं,परन्तु उसे कभी भी नई मशीन जैसे नहीं कर सकते हैं। बढ़ती उम्र में निश्चित ही ऊर्जा और स्फूर्ति में तो कमी आनी ही आनी है। हम बुढ़ापे की ओर बढ़ रहे हैं,इसे सच को स्वीकार करना ही पड़ेगा।
सच तो ये है कि किसी टूथपेस्ट में ना तो नमक होता है और ना ही किसी मे नीम। किसी क्रीम में केसर भी नहीं होती,क्योंकि यदि 1-2 ग्राम असली केसर भी लेने जाइये तो उसका दाम सैकड़ों से लेकर हजारों रुपए तक में होता है,तब कहाँ से भला केसर साबुन में मिला कर बेजा जा सकता है। कोई बात नहीं अगर आपकी नाक मोटी है तो,
कोई बात नहीं अगर आपकी आँखें छोटी हैं तो,
कोई बात नहीं यदि आपके होंठों की संरचना टेढ़ा है या परफेक्ट शेप साइज में नही हैं। आप गोरे हैं या सांवले इसका भी कभी दुःख न करें। यह शरीर प्रभु का वरदान है। आप केवल यह सोचें कि फिर भी हम सुन्दर हैं। असली सुंदरता टी आप के इस वास्तविक व्यक्तित्व में छिपी है। आप का मन व दिल सुन्दर होना चाहिए। आप का व्यवहार सुन्दर है।अपनी सुंदरता को पहचानिये, उस पर ही गर्व कीजिये। दूसरों से कमेंट या वाह वाही लूटने के लिए सुंदर दिखने से ज्यादा ज़रूरी है,अपनी निज सुंदरता को महसूस करना।
आप जानते हैं कि हर बच्चा सुंदर क्यों दिखता है? क्योंकि वो छल कपट से कोसों दूर और निश्छल तथा मासूम होता है। उम्र के साथ बड़े होने पर जब हम छल व कपट से लिप्त जीवन जीने लगते हैं तो हम बचपन की हमारी पूरी मासूमियत खोते जाते हैं,और उस सुंदरता को पुनः पाने के लिए ही पैसे खर्च करके खरीदने का प्रयास करते हैं।
हमें अपने मन की सुंदरता और खूबसूरती पर ही ध्यान देना चाहिए। शारीरिक सुंदरता पर नहीं। बढ़ती उम्र के साथ हमारा पेट भी निकल गया है तो कोई बात नहीं उसके लिए हमें शर्माना ज़रूरी नहीं है। हम सभी का शरीर हमारी उम्र के साथ ये बदलता रहता है तो यह वज़न भी उसी हिसाब से घटता बढ़ता है उसे समझिये। इसके लिए चिंतित
होने की जरुरत नहीं है। आज सारा इंटरनेट और सोशल मीडिया तरह तरह के उपदेशों से भरा पड़ा रहता है। कोई कहता लिखता है यह खाओ,वह तो बिलकुल मत खाओ। ठंडा खाओ, गर्म पिओ,
कपाल भाती करो,सवेरे गर्म पानी में नींबू पिओ व
रात को सोते समय गर्म दूध पिओ।ज़ोर ज़ोर से सांस लो, लंबी सांस लो,दाहिने से सोइये बाएं से
उठिए। हरी साग सब्जी खाओ, दाल में प्रोटीन है,
दाल से क्रिएटिनिन बढ़ जायेगा।
हम अगर पूरे एक दिन के सारे उपदेशों को पढ़ने और पालन करने लगें तो पता चलेगा कि हमारी ज़िन्दगी ही बेकार है,न कुछ खाने को बचेगा और ना कुछ पीने को यहाँ तक कि जीने को भी कुछ नहीं बचेगा। आप डिप्रेस्ड हो जायेंगे। ये सारा ऑर्गेनिक फूड,एलोवेरा,करेला,मेथी,लौकी,हल्दी,
आँवला, हम विभिन्न कंपनियों के विज्ञापनों और टीवी तथा सोशल मीडिया पर आकर उपदेश देने वालों के चक्कर में फँसकर अपने दिमाग का दही कर लेते हैं। स्वस्थ होना रहना तो दूर हम स्वयं ही स्ट्रेस का शिकार हो जाते हैं।
अरे! भाई हर इंसान मरने के लिये ही तो जन्म भी लेता है। कभी ना कभी तो सभी को मरना ही है। अभी तक तो बाज़ार में अमृत बिकना शुरू ही नहीं हुआ है कि कोई खरीदे और उसे पीकर अमर
हो जाये। हर चीज़ आप सही व संतुलित मात्रा में खाइये। हर वो चीज़ थोड़ी थोड़ी जरूर खाइये जो आपको बहुतअच्छी लगती है। भोजन का संबंध मन से होता है और मन अच्छे भोजन से ही खुश रहता है। मन को मारकर कभी खुश नही रहा जा सकता। खुश नहीं रहेंगे तो शरीर भी स्वस्थ नहीं रह सकता। तनाव और अवसाद में रह सकते हैं।
इस लिए थोड़ा बहुत शारीरिक कार्य करते रहिए।
सुबह शाम में समय निकाल टहलने जरूर जाइये,
हल्की फुल्की कुछ कसरत भी करिये। अपने को किसी मन पसंद स्वस्थ कार्य में व्यस्त रहिये। खुश और मस्त रहिये। शरीर से ज्यादा अपने मन को पूरी तरह सुन्दर रखिये। अपने अचार विचार को भी सुन्दर रखिये। प्रकृति की अनुपम सुंदरता को निहारिये,उसका आनंद लीजिये। हमारा आपका यह शरीर और जीवन,माता-पिता और ईश्वर द्वारा दिया गया एक अनुपम उपहार है। हमें अपने उम्र के साथ प्राकृतिक जीवन जीने की जरुरत है। हमें बढ़ती उम्र के साथ अपनी आदतों में बदलाव लाने की जरुरत है,जिससे हम सभी स्वस्थ और सुखी जीवन जी सकें। अपने जीवन का सम्पूर्ण आनंद बुढ़ापे में भी ले सकें।
लेखक :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596
Last Updated on June 26, 2021 by dr.vinaysrivastava
- डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
- वरिष्ठ प्रवक्ता
- पी बी कालेज
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- 156 - अभय नगर, प्रतापगढ़ सिटी, उ.प्र., भारत- 230002