*स्वर लहरियों का सरगम ही संगीत*
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रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
मन की खिन्नता को ये प्रसन्न करे संगीत।
निराशा को आशा में बदलता है संगीत।
गीत सुन नृत्य करने को मन कहे संगीत।
बज रहा हो कहीं भी ध्यान खींचे संगीत।
सात सुरों के संगम से बनता कोई संगीत।
जीवन में बड़ा महत्व रखता मधुर संगीत।
शिवजी डमरू से निकालते सुन्दर संगीत।
माँ शारदा वीणा से निकालीं मधुर संगीत।
सरस्वती जिस कण्ठ विराजें गाता है गीत।
विद्यामाँ जिस कलम विराजें रचता है गीत।
स्वर लहरियों,वाद्य यंत्रों का मेल है संगीत।
अवसाद मिटा देता है ये सुनिये तो संगीत।
कल कल अविरल बहती सरिता में संगीत।
झर झर बहते झरना से निकले प्रिय संगीत।
कृष्ण के मुरली से निकले बड़ा मधुर संगीत।
शंख ध्वनि से निकलता सुमधुर प्रिय संगीत।
पक्षी के कलरव में वसा है कर्ण प्रिय संगीत।
जल तरंगों से है निकलता मनमोहक संगीत।
कोयल की कूक प्यारी कैसे निकाले संगीत।
पपीहे की टेर प्यारी क्या गजब होये संगीत।
गीत और संगीत का उत्सव घर घर होता है।
ढोल मंजीरा ढपली से लेडी संगीत होता है।
ख़ुशी का हर पर्व अधूरा यदि न बजे संगीत।
जीवन के सुख दुःख से जुड़ा रहा ये संगीत।
आपके अधरों से जो स्वर निकले वो संगीत।
हिन्दू के सोलह संस्कारों में रचा बसा संगीत।
संगीत के महारथियों के हर धुन में ये संगीत।
फिल्में ड्रामें नौटंकी राम-कृष्ण लीला संगीत।
झूलें थिरकें गायें बाथरूम सिंगर प्रिय संगीत।
मानव जीवन का पर्याय बन गया है ये संगीत।
रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596
Last Updated on June 26, 2021 by dr.vinaysrivastava