*संस्कार बिना हर शिक्षा बेकार*
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रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
संस्कार एक कला है साथमें व्यक्ति का गहना।
जिसमें होता संस्कार भरा उसका क्या कहना।
जीवन में होता है सभी के पूरा सोलह संस्कार।
व्यक्तित्व वही निखरता जिस रग में है संस्कार।
मिलता नहीं दुकानों पर ना ही ये हाट बाजार।
माता-पिता परिवार से मिलता अच्छा संस्कार।
संस्कार ग्रहण करना चाहें तभी ये हैं आ सकते।
स्कूलों में भी गुरुजन-सहपाठी से भी पा सकते।
दया प्रेम स्नेह मदद अग्रज सम्मान करे संस्कार।
क्षमा विनम्रता अनुज प्यार आचरण है संस्कार।
ज्ञान और संस्कार ही हमें शीर्ष तक ले जाता है।
प्रतिभा सज्जनता सहनशीलता से सब पाता है।
खोयें कभी ना जीवन में ये निज गुण हैं संस्कार।
सफल व्यक्ति का आभूषण है यही एक संस्कार।
सुख-दुःख चाहे कोई भी हो याद रहे ये संस्कार।
चरित्र बनाता है अच्छा ये पाता लोगों का प्यार।
महिला का सम्मान करे उन्हें माँ बहन जैसे माने।
उच्च संस्कार का नेक प्रदर्शन है ये दुनिया जाने।
बच्चों में संस्कार ले आयें शिक्षा से भी जरुरी है।
शिक्षा-संस्कार से बढ़ कर कुछ भी ना जरुरी है।
रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596
Last Updated on June 26, 2021 by dr.vinaysrivastava