फूल जैसी बेटियों का ध्यान रखता हूंँ यहांँ
सुखद पल अनमोल क्षण में
बेटियांँ रहती हैं मन में …..
जगमगाते हुए सदन में – २
गुणगान करता हूंँ यहांँ
फूल जैसी बेटियों का
ध्यान रखता हूंँ यहांँ – २
तुम कहोगे ! बेटियों से रिश्ता क्या है ?
मैं कहूंँगा बेटियों में रब बसा है ।
तुम सुनोगे बेटियांँ तो हैं पराई – २
मैं कहूंँगा बेटियों ने सब रचा है ।
तुम सदा झूठ पर अफवाह उड़ाते
मैं तुम्हारी अफवाहों पर
कान रखता हूंँ यहांँ ।।
फूल जैसी बेटियों का
ध्यान रखता हूंँ यहांँ – २
बेटियों के अनगिनत किरदार देखो
बेटियों से सुखमय ये संसार देखो ।
बेटियों में तुम सदा देखोगे दुर्गा – २
बेटियों में मांँ – बहिन का प्यार देखो ।
बेटियों की गरिमा को पहचान लेना
मैं इसी अरजी का ऐलान करता हूंँ यहांँ
फूल जैसी बेटियों का
ध्यान रखता हूंँ यहांँ – २
गर्भ में क्यों बेटियों को मारते हो
कुल वधु को जीतते क्यों हारते हो ।
तुम नया इतिहास गड़ते हो यहांँ पर – २
तुम स्वार्थ हेतु अपनापन संँवारते हो ।
सुख समृद्धि की निशानी बेटियों पर
उनकी गरिमा के लिए
प्राण रखता हूंँ यहांँ
फूल जैसी बेटियों का
ध्यान रखता हूंँ यहांँ – २
शशि कान्त पाराशर “अनमोल”
नारी प्रधान लेखक
मथुरा, उत्तरप्रदेश
Last Updated on January 20, 2021 by skparashar7466
4 thoughts on “फूल जैसी बेटी”
रचना पर पढ़कर कॉमेंट कीजिए ।
Bhut sunder rachna Mamaji OR aapko congratulations
बेहतरीन…, बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण सृजन…, “फूल जैसी -बेटी “
बहुत ही सुंदर रचना अनमोल जी